रूचिकास्थान
रुचिका की नजरों से राजस्थान
रूचिका | 25 दिसम्बर 2016
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कुम्भलगढ़ में साइकिल यात्रा
मेवाड़ राजा राणा कुम्भा द्वारा 15 वीं शताब्दी में निर्मित, अरावली की पहाड़ियों में बसा कुम्भलगढ़ किला विश्व विरासत धरोहर है । यह महान शख्सियत महाराणा प्रताप की जन्मभूमि भी है। शाम होते ही किला रोशनी से जगमगा उठता है। इसकी दीवार (38 किलोमीटर) चीन की महान दीवार के बाद दूसरे नम्बर पर है। शानदार कुम्भलगढ़ टाउन (कस्बे) को साइकिल यात्रा से देखने का अपना अलग ही रोमांच है। रास्ते में कोनों-कोनों में स्थित जैन और हिन्दू मन्दिर जरूर देखें। और हाँ, पहाड़ी का विहंगम दृश्य देखना ना भूलें।
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राजस्थान के निवासी
राजस्थान के निवासी भी उतने ही भिन्न हैं जैसे यहाँ के नजारे । राजपूत, आर्य, भील, मुस्लिम और हिन्दू शिल्पकार और संस्कृति और इतिहास में अपना निश्चित स्थान रखने वाले आदिवासियों का भी घर है राजस्थान। जो अनेक वर्षों से यहाँ बस गये हैं। रंगबिरंगे परिधान, चांदी के भारी आभूषण,रंगबिरंगे मेले और त्यौहार यहाँ की खूबी है। महिलायें लम्बी स्कर्ट जिसे 'लँहगा' कहते हैं पहनती हैं जो मनके और काँच से नारंगी, लाल और पीले रंगों से सजा होता है। साथ ही इसे सुनहरी धागे से और भी मनमोहक बनाया जाता है। महिलाएं अपना चेहरा ओढ़नी से ढकती हैं जो उनका तेज धूप और हवाओं से बचाव करता है। पुरूष कुरता और पगड़ी धारण करते हैं। पगड़ी विविध रंगों और कपड़ों में होती हैं साथ ही बड़ी भी। उनकी मूँछे अच्छी तरह सजी होती हैं जो उनके गर्व की निशानी है। लोगों में जीवन के प्रति उत्साह है और वे अपने अतिथियों का मान-मनुहार अनोखे खानपान,संगीत, नृत्य की समृद्ध परम्परा से करते हैं।
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फेयरी क्वीन
शानदार फेयरी क्वीन भाप का इंजन है । यह नई दिल्ली से अलवर के रुट पर है। यह विरासत धरोहर 1998 से गिनिज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में शामिल हुई जो विश्व का सबसे पुराना चलता-फिरता इंजन है। इसने अपनी यात्रा 1855 में कलकत्ता में शुरू की थी। फेयरी क्वीन की सवारी आपको राजस्थान की अनुपम झलक दिखलाती है। सरिस्का टाइगर रिजर्व देखें और रेल में शाही अंदाज का आनंद ले। विरासत की सैर करें और वन्य जीवन का रोमांच लेते हुए इस ट्रेन की यादगार यात्रा करें।
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भानगढ़
राजस्थान के अलवर जिले में सरिस्का बाघ अभयारण्य की सीमा पर भानगढ़ गाँव स्थित है। यह अपने ऐतिहासिक खण्डहरों, विशेषकर, भानगढ किले के कारण प्रसिद्ध है। किवदंती है कि यह गाँव प्रेतबाधा के कारण निर्जन और रहस्यमय है।
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अजमेर शरीफ दरगाह
सूफी फकीर मोइनुदीन चिश्ती की मजार अजमेर स्थित दरगाह में स्थित है। यह हिन्दू और मुस्लिम दोनों की ही आस्था का केन्द्र है ऐसा माना जाता है कि जो अजमेर शरीफ जाकर विश्वासपूर्वक प्रार्थना करते हैं उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं । इसमें मुगल स्थापत्य शैली के दालान और आँगन हैं। यहाँ हैदराबाद निजाम द्वारा दिया गया विशाल दरवाजा और अकबरी मस्जिद है, अकबर और उनकी रानी अपने लिए पुत्र माँगने आगरा से पैदल ख्वाजा की चौखट पर आये थे । अजमेर शरीफ के भीतर अकबरी मस्जिद बादशाह ने अपने पुत्र जहाँगीर के जन्म के बाद अपना आभार प्रकट करने के लिए बनायी थी।