मेले और उत्सव
राजस्थान को मेले और उत्सव ही अद्भुत बनाते हैं (आने वाले कार्यक्रम)
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25
नवंबर27
नवंबरउत्सवमत्स्य महोत्सव - 2024
अलवर का मत्स्य उत्सव राजस्थान के सभी मेलों और त्योहारों में अग्रणी है। पारंपरिक मूल्यों ,रीति-रिवाजों की महिमा मनाता यह उत्सव रंगबिरंगी शोभायात्रा ,सांस्कृतिक प्रदर्शन, खेलकूद और कलात्मक प्रदर्शनियों के लिए प्रसिद्ध है।...
खोजेमत्स्य महोत्सव - 2024
अलवर का मत्स्य उत्सव राजस्थान के सभी मेलों और त्योहारों में अग्रणी है। पारंपरिक मूल्यों ,रीति-रिवाजों की महिमा मनाता यह उत्सव रंगबिरंगी शोभायात्रा ,सांस्कृतिक प्रदर्शन, खेलकूद और कलात्मक प्रदर्शनियों के लिए प्रसिद्ध है। अलवर के शानदार महल ,किले , झीलें , शिकारगाह , पुरातात्विक स्थल और घने वन इस भव्य उत्सव का ताना बाना रचते हैं।
अलवर -
1
दिसम्बर3
दिसम्बरउत्सवकुम्भलगढ़ उत्सव - 2024
अरावली पर्वत श्रृंखला में, उदयपुर के उत्तर में स्थित कुम्भलगढ़ किला कुम्भलगढ़ महोत्सव का रंगारंग आयोजन करता है। पर्यटन विभाग द्वारा दिन-रात का यह तीन दिवसीय महोत्सव राजस्थान की संस्कृति और विरासत को बढ़ावा देने के लिए है।...
खोजेकुम्भलगढ़ उत्सव - 2024
अरावली पर्वत श्रृंखला में, उदयपुर के उत्तर में स्थित कुम्भलगढ़ किला कुम्भलगढ़ महोत्सव का रंगारंग आयोजन करता है। पर्यटन विभाग द्वारा दिन-रात का यह तीन दिवसीय महोत्सव राजस्थान की संस्कृति और विरासत को बढ़ावा देने के लिए है। दिन में लोक कलाकारों का परंपरागत प्रस्तुतिकरण, पगड़ी बांधने और मेहंदी लगाने जैसी प्रतियोगितायें संपन्न की जाती हैं । रात को रोशनी, ध्वनि, रंग और नृत्य की मंजुल प्रस्तुतियों से समां बंध जाता है। कला, संगीत और नृत्य के प्रति समर्पित अन्वेषकों को कुंभलगढ़ महोत्सव में जरुर शामिल होना चाहिए। अधिक जानकारी के लिए राजस्थान पर्यटन फेसबुक पेज पर जाएं। सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा उदयपुर में है और यहाँ से 98 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।
उदयपुर -
21
दिसम्बर22
दिसम्बरउत्सवरणकपुर उत्सव - 2024
पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित रणकपुर उत्सव राजस्थान के सबसे लोकप्रिय पर्वों में से एक है। पाली जिले में स्थित रणकपुर में आयोजित यह त्यौहार स्थानीय संस्कृति और विरासत का सुंदर परिचय देता है। ...
खोजेरणकपुर उत्सव - 2024
पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित रणकपुर उत्सव राजस्थान के सबसे लोकप्रिय पर्वों में से एक है। पाली जिले में स्थित रणकपुर में आयोजित यह त्यौहार स्थानीय संस्कृति और विरासत का सुंदर परिचय देता है। रोचक गतिविधियां जैसे योग, अरावली के जंगलों में प्रकृति की सैर पर चलना, रणकपुर जैन मंदिरके दर्शन , हॉट एयर बैलून की सवारी , दिलचस्प गतिविधियां जैसे: टग ऑफ वार , शानदार सज्जा , सांस्कृतिक कार्यक्रम, सूर्य मंदिर में ओपन एयर ऍमपिथियेटर में प्रत्येक शाम आकर्षक लोक और शास्त्रीय प्रस्तुतिकरण और भी बहुत कुछ ! रणकपुर महोत्सव ऐसा रोमांच है जिसे आप कभी भुला नहीं कर सकते। आम तौर पर हर वर्ष 21 और 22 दिसंबर को आयोजित यह त्यौहार दुनिया के हर कोने से आये अतिथि पर्यटकों की मेजबानी करता है और उन्हें सांस्कृतिक उत्सव के पक्के रंग में रंग देता है!
पाली -
29
दिसम्बर30
दिसम्बरउत्सवशीतकालीन उत्सव – माउंट आबू - 2024
माउंट आबू में दिसंबर में आयोजित वार्षिक शीतकालीन समारोह राजस्थान की गौरवमयी संस्कृति और परंपराओं का परिचायक है। साथ ही यह एक जीवंत /जिन्दा संस्कृति , हस्तशिल्प वैभव और स्वादिष्ट व्यंजनों का दुर्लभ संगम है। यह तीन दिवसीय उत्सव राज्य के हर कोने से शिल्पकारों और कलाकारों को लाता है। ...
खोजेशीतकालीन उत्सव – माउंट आबू - 2024
माउंट आबू में दिसंबर में आयोजित वार्षिक शीतकालीन समारोह राजस्थान की गौरवमयी संस्कृति और परंपराओं का परिचायक है। साथ ही यह एक जीवंत /जिन्दा संस्कृति , हस्तशिल्प वैभव और स्वादिष्ट व्यंजनों का दुर्लभ संगम है। यह तीन दिवसीय उत्सव राज्य के हर कोने से शिल्पकारों और कलाकारों को लाता है। यह अपनी रोचक और रोमांचक गतिविधियों के लिए भी जाना जाता है, जैसे कि पतंग उड़ाना, नौकायान प्रतियोगितायें और कविता पाठ सत्र(सेशन )। साथ ही यह राजस्थान का पहला एकमात्र त्यौहार है जहां उत्सव के एक महत्वपूर्ण भाग के रूप में क्रिकेट शुरू किया गया है। एक भव्य शोभायात्रा पर्व के आगाज का प्रतीक है। शाम को 'दीपदान' समारोह के साथ नक्की झील पर यह सम्पन्न होता है, जहां सैकड़ों दीपकों को सम्मान स्वरुप जल में जलता हुआ बहा दिया जाता है। आतिशबाजी के शानदार प्रदर्शन के साथ यह उत्सव सम्पन्न होता है ।वर्ष 2019 की तिथियाँ 29 दिसंबर और 30 दिसंबर हैं । सबसे नज़दीकी उदयपुर हवाई अड्डा है और यह 175 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
माउंट आबू -
11
जनवरी12
जनवरीउत्सवऊंट उत्सव - 2025
रेगिस्तान के जहाज को समर्पित ऊंट उत्सव बीकानेर (कैमल महोत्सव) एक वार्षिक उत्सव है । जनवरी माह में राजस्थान पर्यटन द्वारा आयोजित, उत्सव में ऊंट दौड़, ऊंट दुग्ध, फर काटने के आलेखन /डिजाइन, सर्वश्रेष्ठ नस्ल प्रतियोगिता, ऊंट कलाबाजी और ऊंट सौंदर्य प्रतियोगिताएं शामिल हैं।...
खोजेऊंट उत्सव - 2025
रेगिस्तान के जहाज को समर्पित ऊंट उत्सव बीकानेर (कैमल महोत्सव) एक वार्षिक उत्सव है । जनवरी माह में राजस्थान पर्यटन द्वारा आयोजित, उत्सव में ऊंट दौड़, ऊंट दुग्ध, फर काटने के आलेखन /डिजाइन, सर्वश्रेष्ठ नस्ल प्रतियोगिता, ऊंट कलाबाजी और ऊंट सौंदर्य प्रतियोगिताएं शामिल हैं। जूनागढ़ किले की लाल पृष्ठभूमि में सजे -धजे ऊंट रंगबिरंगा परिदृश्य बनाते हैं। जायकेदार खान –पान , स्मारिका-खरीदारी और छायाचित्रण (फोटोग्राफी ) के बहुत सारे अवसरों के साथ ये उत्सव अपना असर छोड़ता हैं। साथ ही घेरदार लहंगा पहने गोल घूमती लोक नर्तकियां , अग्नि नर्तक और शानदार आतिशबाजी शो (प्रदर्शन) जो मजबूत /दृढ़/अखंड रेगिस्तानी शहर के ऊपर रात के आसमां को रोशनी से भर देता है।
बीकानेर -
14
जनवरीउत्सवपतंग उत्सव - 2025
पतंग महोत्सव राजस्थान के लिए एक उमंग भरा उत्सव है। इस अद्भुत त्यौहार पर पूरे राज्य में पतंगें उड़ाई जाती हैं। हालांकि दिन में विभिन्न प्रकार की रंगीन पतंगों का आनंद लिया जा सकता है पर शाम को उत्सव वास्तव में शानदार रूप ले लेता है जब पतंगों के साथ आसमान में होती आतिशबाजी शहर के क्षितिज को रोशन कर देती है।...
खोजेपतंग उत्सव - 2025
पतंग महोत्सव राजस्थान के लिए एक उमंग भरा उत्सव है। इस अद्भुत त्यौहार पर पूरे राज्य में पतंगें उड़ाई जाती हैं। हालांकि दिन में विभिन्न प्रकार की रंगीन पतंगों का आनंद लिया जा सकता है पर शाम को उत्सव वास्तव में शानदार रूप ले लेता है जब पतंगों के साथ आसमान में होती आतिशबाजी शहर के क्षितिज को रोशन कर देती है। यूँ तो इसे राज्य भर में मनाया जाता है पर जयपुर में ये उत्सव शिखर पर होता है। यदि आप पतंग उड़ाने का आनंद लेना चाहें , तो आप किसी भी वर्ष 14 जनवरी या उसके आसपास शहर की यात्रा कर सकते हैं। इस मौके पर, पर्यटन विभाग एक त्यौहार का आयोजन करता है जहां पर्यटक विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ पतंग उड़ाने का आनंद ले सकते हैं।
अजमेर -
1
फ़रवरी5
फ़रवरीउत्सवजयपुर लिट्रेचर फैस्टिवल (साहित्यिक उत्सव) - 2025
साहित्य की सीमाओं को विस्तार देने के लिए, जयपुर के डिग्गी पैलेस में, प्रसिद्ध जयपुर लिट्रेचर फैस्टिवल मनाया जाता है, जिसमें साहित्यिक परिदृश्य के सर्वोत्तम तथा उत्कृष्ट लेखकों, कवियों तथा कलाकारों को एक छत के नीचे इकट्ठा किया जाता है...
खोजेजयपुर लिट्रेचर फैस्टिवल (साहित्यिक उत्सव) - 2025
साहित्य की सीमाओं को विस्तार देने के लिए, जयपुर के डिग्गी पैलेस में, प्रसिद्ध जयपुर लिट्रेचर फैस्टिवल मनाया जाता है, जिसमें साहित्यिक परिदृश्य के सर्वोत्तम तथा उत्कृष्ट लेखकों, कवियों तथा कलाकारों को एक छत के नीचे इकट्ठा किया जाता है। इस उत्सव के विषय में कहा जाता है कि यह पूरी पृथ्वी पर होने वाला ‘सर्वोत्तम साहित्यिक प्रदर्शन’ है। जहाँ दुनियां के हर कोने से जाने माने लेखकों का महाकुम्भ होता है। प्रतिवर्ष जनवरी माह में होने वाले इस जयपुर लिट्रेचर फैस्टिवल में दर्शक, पाठक और श्रोता अपनी ज्ञान पिपासा शांत करने के लिए इकट्ठा होते हैं और अपने प्रिय और पसंदीदा लेखकों के बहुत नजदीक आना चाहते हैं।
जयपुर -
3
फ़रवरी6
फ़रवरीमेलेनागौर मेला - 2025
भारत का दूसरा सबसे बड़ा पशु मेला है हर वर्ष जनवरी और फरवरी के महीने के बीच आयोजित, नागौर के मवेशी मेले के रूप में लोकप्रिय है इस मेले में करीब 10,000 बैल, ऊंट और घोड़ों का व्यापार होता है। पशुओं को सुंदर ढंग से सजाया जाता है...
खोजेनागौर मेला - 2025
भारत का दूसरा सबसे बड़ा पशु मेला है हर वर्ष जनवरी और फरवरी के महीने के बीच आयोजित, नागौर के मवेशी मेले के रूप में लोकप्रिय है इस मेले में करीब 10,000 बैल, ऊंट और घोड़ों का व्यापार होता है। पशुओं को सुंदर ढंग से सजाया जाता है और यहां तक कि उनके मालिकों को भी रंगीन पगड़ी और लंबे मूंछें के साथ देख सकते हैं । भेड़, घोड़े और अन्य पशुओं के अलावा मसाले का भी व्यापार किया जाता है। अन्य आकर्षण में मिर्ची बाजार (भारत का सबसे बड़ा लाल मिर्च बाजार), लकड़ी की वस्तुओं की बिक्री, लोहे के शिल्प और ऊंट के चमड़े के सामान भी शामिल हैं। मेले के दौरान कई खेल भी आयोजित किए जाते हैं। इसमें टग-ऑफ़-वार, ऊंट नृत्य और घोड़ा नृत्य शामिल हैं। नागौर मेला अपने बाजीगरों, कठपुतलियों, कहानीकारों आदि के लिए भी प्रसिद्ध है।
नागौर -
8
फ़रवरी12
फ़रवरीमेलेबाणेश्वर मेला - 2025
लोकप्रिय आदिवासी उत्सव बाणेश्वर मेला डूंगरपुर के बाणेश्वर मंदिर में माघ शुक्ल पूर्णिमा को आयोजित किया जाता है। इस पवित्र अवसर पर गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश से भील यात्रा करते हुए आते हैं ताकि नदियों के (माही और सोम के) संगम पर डुबकी लगा सकें।...
खोजेबाणेश्वर मेला - 2025
लोकप्रिय आदिवासी उत्सव बाणेश्वर मेला डूंगरपुर के बाणेश्वर मंदिर में माघ शुक्ल पूर्णिमा को आयोजित किया जाता है। इस पवित्र अवसर पर गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश से भील यात्रा करते हुए आते हैं ताकि नदियों के (माही और सोम के) संगम पर डुबकी लगा सकें। इस मेले के अतिरिक्त वागड़ महोत्सव भी डूंगरपुर के लोकप्रिय समारोहों में से एक है। यह त्यौहार इस अंचल के नृत्य रूपों और संगीत , को दिखाता है। यहां लोकप्रिय हिंदू त्यौहार होली पर जनजातीय नृत्य किया जाता है।
डूंगरपर -
9
फ़रवरी11
फ़रवरीउत्सवउदयपुर वर्ल्ड म्यूजिक फैस्टिवल (विश्व स्तरीय संगीत समारोह) - 2025
प्रति वर्ष झीलों का शहर उदयपुर एक अलग ही धुन गुनगुनाता है। उदयपुर शहर ’उदयपुर वर्ल्ड म्यूजिक फैस्टिवल’ के अगले संस्करण की मेज़बानी करने जा रहा है। दुनियां भर के जाने माने विद्धान, कलाकारों को एक जगह इकट्ठा करने का काम ‘‘सहर” नामक संस्था करती है जिनमें बीस से अधिक देशों के लोग जिनमें ईरान, स्पेन, ब्राजील, सेनेगल, इटली और भारत सहित कई अन्य देशों के लोग भी शामिल होते हैं...
खोजेउदयपुर वर्ल्ड म्यूजिक फैस्टिवल (विश्व स्तरीय संगीत समारोह) - 2025
प्रति वर्ष झीलों का शहर उदयपुर एक अलग ही धुन गुनगुनाता है। उदयपुर शहर ’उदयपुर वर्ल्ड म्यूजिक फैस्टिवल’ के अगले संस्करण की मेज़बानी करने जा रहा है। दुनियां भर के जाने माने विद्धान, कलाकारों को एक जगह इकट्ठा करने का काम ‘‘सहर” नामक संस्था करती है जिनमें बीस से अधिक देशों के लोग जिनमें ईरान, स्पेन, ब्राजील, सेनेगल, इटली और भारत सहित कई अन्य देशों के लोग भी शामिल होते हैं, हिस्सा लेते हैं। यह समारोह विभिन्न आयु और वर्ग के लोगों की संवेदनशीलता और पसंद के संगीत की लालसा को पूरा करने के लिए तैयार किया जाता है। आपके पूरे जीवन में एक बार अवश्य अनुभव करने लायक़ तथा संगीत प्रेमियों के लिए यह एक विशुद्ध, वास्तविक और परिपूर्ण उत्सव है।
उदयपुर -
10
फ़रवरी12
फ़रवरीउत्सवमरू महोत्सव - 2025
फरवरी माह में, प्रत्येक वर्ष राजस्थान पर्यटन विभाग द्वारा, मरू महोत्सव यानी डैज़र्ट फेस्टिवल आयोजित किया जाता है, जिसमें हजारों की संख्या में देशी व विदेशी पर्यटक आते हैं।...
खोजेमरू महोत्सव - 2025
फरवरी माह में, प्रत्येक वर्ष राजस्थान पर्यटन विभाग द्वारा, मरू महोत्सव यानी डैज़र्ट फेस्टिवल आयोजित किया जाता है, जिसमें हजारों की संख्या में देशी व विदेशी पर्यटक आते हैं। पर्यटन विभाग द्वारा जनवरी-फरवरी के आस पास आयोजित मरू महोत्सव रंगीन राजस्थानी लोक संस्कृति का आनंद लेने के लिए सबसे शानदार स्थान है। त्यौहार के प्रमुख आकर्षण कठपुतली, कलाबाज़ी, ऊँट दौड़, ऊँट पोलो, लोक नृत्य आदि हैं।
जैसलमेर -
9
मार्च10
मार्चउत्सवब्रज होली - 2025
होली से कुछ दिन पूर्व फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष में प्रत्येक वर्ष दो दिनों के लिए राजस्थान में ब्रज होली त्यौहार आयोजित किया जाता है। यह त्यौहार भगवान कृष्ण को समर्पित है माना जाता है...
खोजेब्रज होली - 2025
होली से कुछ दिन पूर्व फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष में प्रत्येक वर्ष दो दिनों के लिए राजस्थान में ब्रज होली त्यौहार आयोजित किया जाता है। यह त्यौहार भगवान कृष्ण को समर्पित है माना जाता है कि राजस्थान में ब्रज नामक क्षेत्र में उन्होंने काफी समय बिताया था । यह त्यौहार न केवल होली की भावना का उद्गार व्यक्त करता है बल्कि राधा और कृष्ण के अगाध प्रेम का भी प्रतिबिम्ब है। इस त्यौहार का मुख्य आकर्षण रासलीला नृत्य है जो महान उत्साह और उमंग के साथ प्रस्तुत किया जाता है। सम्पूर्ण शहर और लोग प्रेम भाव से रंग कर आनंदमग्न हो जाते हैं। भरतपुर जिले के डीग, कमान और भरतपुर में बड़ी धूमधामसे यह समारोह मनाया जाता है ।
भरतपुर -
14
मार्चउत्सवधुलण्डी उत्सव - 2025
सम्पूर्ण भारत में होलिका दहन के बाद अगले पूरे दिन धुलण्डी उत्सव (रंगों का त्योहार) मनाया जाता है। यह वसंत की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन बच्चे ,युवा,बुजुर्ग सभी दिन में समारोह के तौर पर सूखे गुलाल, पक्के रंग और पानी से होली खेलते हैं।...
खोजेधुलण्डी उत्सव - 2025
सम्पूर्ण भारत में होलिका दहन के बाद अगले पूरे दिन धुलण्डी उत्सव (रंगों का त्योहार) मनाया जाता है। यह वसंत की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन बच्चे ,युवा,बुजुर्ग सभी दिन में समारोह के तौर पर सूखे गुलाल, पक्के रंग और पानी से होली खेलते हैं। जयपुर में ये त्यौहार एक विशेष तरीके से मनाया जाता है, जहां विशेषकर विदेशी पर्यटकों के लिए पर्यटन विभाग खासा कोठी होटल के लॉन पर एक शानदार आयोजन करता है। जिसमें पर्यटक सूखे रंगों से होली खेलते हैं। इस अवसर पर स्थानीय कलाकार राजस्थानी लोक धुन पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुति देते हैं। आईये लोक कलाकारों द्वारा शानदार सांस्कृतिक प्रदर्शन का आनंद लें और अपने आप को वसंत के रंग में रंग दें।
जयपुर -
30
मार्चउत्सवराजस्थान फैस्टिवल - (राजस्थान उत्सव) - 2025
‘‘महाराजाओं की भूमि’’ राजस्थान - विविध रंगों से परिपूर्ण और उज्जवल और चटकीला है। राजस्थान अपना स्थापना दिवस बड़े ही दैदीप्यमानऔर उत्साहित रूप से मनाता है। राजस्थान फैस्टिवल के नाम से मनाया जाने वाला यह उत्सव जयपुर तथा पूरे राज्य में मनाया जाता हैजिसमें इस राज्य के शौर्य की गाथाएं और इसकी विरासत को पुनर्जीवित किया जाता है...
खोजेराजस्थान फैस्टिवल - (राजस्थान उत्सव) - 2025
‘‘महाराजाओं की भूमि’’ राजस्थान - विविध रंगों से परिपूर्ण और उज्जवल और चटकीला है। राजस्थान अपना स्थापना दिवस बड़े ही दैदीप्यमानऔर उत्साहित रूप से मनाता है। राजस्थान फैस्टिवल के नाम से मनाया जाने वाला यह उत्सव जयपुर तथा पूरे राज्य में मनाया जाता हैजिसमें इस राज्य के शौर्य की गाथाएं और इसकी विरासत को पुनर्जीवित किया जाता है। राजस्थान के पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित किए जाने वाले इस उत्सवमें सवेरे के मन्त्रोच्चारण से लेकर शाम को होने वाली संगीत संध्या तक चलने वाला यह आमोद-प्रमोद आपको बांधे रखता है। हर उम्र के लोगों को आपस मेंजोड़ने वाला राजस्थान फैस्टिवल, सजीव संगीतमय समारोह होने के साथ ही, सामंजस्य पूर्ण धार्मिक मन्त्रोच्चारण, मनोरम फिल्म समारोह, संगीत संध्या, फौज कीशोभायात्रा (आर्मी पेजिएन्ट), पुलिस टैटू शो, हैरिटेज फैशन शो तथा विशाल समापन समारोह आदि के साथ और भी बहुत कुछ दिखाता है। ख़ुशनुमा मौसम,उत्साहपूर्ण, ज़िन्दादिल और पुनर्जीवित करने वाली राजस्थान की संस्कृति, जहाँ आप जी उठेंगे, उत्साह से झूम उठेंगे। आइए, मार्च माह में होने वाले इस उत्सवमें शामिल हो जाइए और इस मस्ती भरी यात्रा का अनुभव लीजिए।
जयपुर -
31
मार्च1
अप्रैलउत्सवगणगौर उत्सव - 2025
राजस्थान के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक गणगौर उत्सव है। अलग-अलग तौर-तरीकों से पूरे राजस्थान में इसे मनाया जाता है। "गण" भगवान शिव का एक पर्याय है और "गौरी" या "गौर" देवी पार्वती का, जो स्वर्ग में भगवान शिव की पत्नी /संगिनी हैं। शिव-पार्वती के साथ होने का उत्सव मनाना सुखी वैवाहिक जीवन का प्रतीक है।...
खोजेगणगौर उत्सव - 2025
राजस्थान के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक गणगौर उत्सव है। अलग-अलग तौर-तरीकों से पूरे राजस्थान में इसे मनाया जाता है। "गण" भगवान शिव का एक पर्याय है और "गौरी" या "गौर" देवी पार्वती का, जो स्वर्ग में भगवान शिव की पत्नी /संगिनी हैं। शिव-पार्वती के साथ होने का उत्सव मनाना सुखी वैवाहिक जीवन का प्रतीक है। गणगौर को हिन्दू कैलेंडर के प्रथम माह चैत्र (मार्च-अप्रैल) में मनाया जाता है। इस महीने सर्दियों के अंत और वसंत की शुरुआत के प्रतीक के रूप में यह त्योहार विशेष रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाता है, जो अपने घरों में "गण" और "गौरी" की मिट्टी की मूर्ति की पूजा करते हैं। इन मूर्तियों की अविवाहित लड़कियों द्वारा पूजा की जाती है जो एक अच्छे पति के लिए गण और गौरी का एक साथ आशीर्वाद प्राप्त करती हैं, जबकि विवाहित महिलाएं अपने पतियों के अच्छे स्वास्थ्य और लंबे जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं। यह पूजा, जो चैत्र माह के पहले दिन से शुरू होती है, 18 वें दिन गणगौर त्योहार को धार्मिक उत्साह के साथ मनाने तक चलती है। गणगौर त्यौहार की पूर्व संध्या पर, महिलायें मेहंदी के अलंकारों के साथ अपनी हथेलियों
जयपुर -
31
मार्च1
अप्रैलउत्सवमेवाड़ उत्सव - 2025
राजस्थान के निवासियों के रंग और उमंग की अनुभूति के लिए मेवाड़ उत्सव,उदयपुर में सम्मिलित हो। यह उत्सव बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है।...
खोजेमेवाड़ उत्सव - 2025
राजस्थान के निवासियों के रंग और उमंग की अनुभूति के लिए मेवाड़ उत्सव, उदयपुर में सम्मिलित हो। यह उत्सव बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। की अनुभूति के लिए मेवाड़ उत्सव,उदयपुर में सम्मिलित हो। यह उत्सव बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। यूँ तो उत्सव का उत्साह राज्य भर में देखा जा सकता है। पर चूँकि मेवाड़ शासकों का शासन स्थल उदयपुर था अतः यहाँ पर उत्सव का विशेष रंग देखा जा सकता है। सारा उदयपुर नगर नये-नवेले खुशनुमा रंगों से रंग जाता है। स्थानीय बाजार और दुकानें अपना सामान तेज प्रकाश सुसज्जित करती हैं। गणगौर उत्सव के जैसे ही मेवाड़ उत्सव महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। वे सुन्दर वस्त्रों में सज-धज कर उत्सव के उत्साह में शामिल हो जाती है। वे ईसर (भगवान शिव) और (देवी पार्वती) की छवियों को पोशाक धारण करवाती है और उन्हें एक शोभायात्रा के रूप में नगर भर में ले जाती है अंततः वे उन्हें पिछोला झील के मध्य में विसर्जित कर देती हैं। नृत्य, गायन, सांस्कृतिक और आतिशबाजी प्रदर्शन इस उत्सव के प्रमुख आकर्षण हैं।
उदयपुर -
10
मई12
मईउत्सवग्रीष्म उत्सव - माउंट आबू - 2025
राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू दो दिवसीय रंगारग ग्रीष्म उत्सव समारोह से ठंडक पहुँचाता है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन से आरम्भ होकर यह ग्रीष्म उत्सव पूरे दो दिन राजस्थानी संस्कृति को आत्मसात करता है।...
खोजेग्रीष्म उत्सव - माउंट आबू - 2025
राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू दो दिवसीय रंगारग ग्रीष्म उत्सव समारोह से ठंडक पहुँचाता है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन से आरम्भ होकर यह ग्रीष्म उत्सव पूरे दो दिन राजस्थानी संस्कृति को आत्मसात करता है। आत्मिक गायन ग्रीष्म उत्सव को अपनी शैली में परवान चढ़ाता है। साथ ही गैर घूमर और ढफ लोक नृत्य शैली इसे और भी अधिक आकर्षक बना देती है। देश के कुशल गायकों से सजी शाम ए- कव्वाली की तो बात ही निराली है। लोक संस्कृति की सुंदर प्रस्तुतियों के साथ ही यह उत्सव घुड़दौड़, टग आफ़ वार, स्केटिंग दौड़ ,सीआर पीएफ बैंड शो और नक्की झील पर नौकायान जैसी प्रतियोगिताओं की मेजबानी करता है। ये उत्सव माउंट आबू की सुरम्य पहाड़ियों, रमणीय झीलों और रंगीन आतिशबाजी के साथ सम्पन्न हो जाता है। सबसे करीब उदयपुर हवाई अड्डा है जो यहाँ से 175 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
माउंट आबू -
27
जुलाई28
जुलाईउत्सवतीज उत्सव - 2025
विशेष रूप से मानसून में मनाया जाने वाला तीज का त्योहार, भारत के पश्चिमी और उत्तरी राज्यों में मनाया जाता है। तीज का त्यौहार, वास्तव में मानसून के कारण उत्पन्न हरियाली, सामाजिक गतिविधियों, अनुष्ठानों और रिवाजों के साथ पक्षियों के आगमन का उल्लास मनाने का त्यौहार है...
खोजेतीज उत्सव - 2025
विशेष रूप से मानसून में मनाया जाने वाला तीज का त्योहार, भारत के पश्चिमी और उत्तरी राज्यों में मनाया जाता है। तीज का त्यौहार, वास्तव में मानसून के कारण उत्पन्न हरियाली, सामाजिक गतिविधियों, अनुष्ठानों और रिवाजों के साथ पक्षियों के आगमन का उल्लास मनाने का त्यौहार है. मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा मनाये जाने वाले इस त्यौहार में नृत्य, गायन, मित्रों के साथ मिलकर कहानियां कहना- सुनना , हाथों और पैरों पर मेहँदी लगाना, चमकीली- रंगीन लहरिया साड़ियां पहनना और हरियाली तीज पर झूले झूलना शामिल है। त्यौहार भारत के कई हिस्सों में, देवी पार्वती को समर्पित है जिन्हें तीज माता के नाम से भी जाना जाता है। महिलाएं देवी से अपने पति के कल्याण की मांग करने वाली प्रार्थना करती हैं । इस अवसर पर लोक कलाकारों, ऊंट, शाही पालकियों, रथ और बैलगाड़ियों के शाही जुलूस शहर के सिटी पैलेस से शुरू होकर त्रिपोलिया बाजार और छोटी चौपड़ होते हुए तालकटोरा तक पहुँचते हैं। तीज के अवसर पर पारंपरिक मिठाई, घेवर का खुले दिल से आनंद उठाया जा सकता है।
जयपुर -
27
जुलाई28
जुलाईउत्सवकजली तीज - 2025
यह तीन श्रावण माह में न होकर, भाद्रपद (जुलाई अगस्त) माह के तीसरे दिन मनाई जाती है। इससे सुसज्जित पालकियों में तीज का उल्लासमय जुलूस, मनोरम नवल सागर से शुरू होकर, कुंभा स्टेडियम पर समाप्त होता है।...
खोजेकजली तीज - 2025
यह तीन श्रावण माह में न होकर, भाद्रपद (जुलाई अगस्त) माह के तीसरे दिन मनाई जाती है। इससे सुसज्जित पालकियों में तीज का उल्लासमय जुलूस, मनोरम नवल सागर से शुरू होकर, कुंभा स्टेडियम पर समाप्त होता है। इसमें लोक कलाकार अपनी सांस्कृतिक नृत्यों व गीतों की प्रस्तुति देते हैं। यह जुलूस दो दिन तक निकाला जाता है तथा त्यौहार जन्माष्टमी तक चलता है।
बूंदी -
26
सितम्बर27
सितम्बरउत्सवआभानेरी उत्सव - 2025
आभानेरी उत्सव का नाम, दौसा ज़िले के एक गाँव ’आभानेरी’ के नाम पर रखा गया है, जो कि आगरा रोड पर, जयपुर से लगभग 90 कि.मी. की दूरी पर है। इस दो दिवसीय उत्सव ने पूरी दुनिया के पर्यटकों में अत्यधिक प्रसिद्धि प्राप्त की है। इस बार यह उत्सव 11 से 12 अक्टूबर तक होने जा रहा है, जिसमें विभिन्न राजस्थानी और स्थानीय लोक कलाकारों द्वारा कच्छी घोड़ी, कालबेलिया, घूमर और भवई आदि प्रदर्शन किए जाएंगे...
खोजेआभानेरी उत्सव - 2025
आभानेरी उत्सव का नाम, दौसा ज़िले के एक गाँव ’आभानेरी’ के नाम पर रखा गया है, जो कि आगरा रोड पर, जयपुर से लगभग 90 कि.मी. की दूरी पर है। इस दो दिवसीय उत्सव ने पूरी दुनिया के पर्यटकों में अत्यधिक प्रसिद्धि प्राप्त की है। इस बार यह उत्सव 11 से 12 अक्टूबर तक होने जा रहा है, जिसमें विभिन्न राजस्थानी और स्थानीय लोक कलाकारों द्वारा कच्छी घोड़ी, कालबेलिया, घूमर और भवई आदि प्रदर्शन किए जाएंगे। सन् 2008 में, इस उत्सव की शुरूआत राजस्थान के पर्यटन विभाग द्वारा की गई थी तथा यह राजस्थान के लिए यह बहुत अधिक सार्थक और महत्वपूर्ण है। आभानेरी के गाँव का असली नाम ‘‘आभा नगरी’’ था, जिसका अर्थ होता है ‘‘आभा/चमक का शहर’’। यह स्थान, यहाँ पर स्थित एक हजार वर्ष से भी अधिक पुरानी बावड़ी ‘‘चाँद बावड़ी’’ के कारण बहुत प्रसिद्ध है। यह बावड़ी राजस्थान की अन्य बावड़ियों में सब से अधिक विशाल है। आइए, आभानेरी में होने वाले इस संगीतमय उत्सव का हिस्सा बनिए, इसमें भाग लीजिए और राजस्थान के पारम्परिक संगीत के देहाती आकर्षण में डूब जाइए।
दौसा -
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अक्टूबर18
अक्टूबरउत्सवदशहरा - 2025
अक्टूबर नवम्बर माह में प्रतिवर्ष नौ दिन नवरात्रों के उपरांत दशहरा के अवसर पर, कोटा दशहरा मेला ग्राउंड में भारत का प्रसिद्व 15 दिवसीय दशहरा मेले का शुभारम्भ होता है।...
खोजेदशहरा - 2025
अक्टूबर नवम्बर माह में प्रतिवर्ष नौ दिन नवरात्रों के उपरांत दशहरा के अवसर पर, कोटा दशहरा मेला ग्राउंड में भारत का प्रसिद्व 15 दिवसीय दशहरा मेले का शुभारम्भ होता है। नवरात्र स्थापना से मेले की हलचल शुरू हो जाती है तथा प्रति दिन नौ दिन तक आकर्षक व मनोहारी प्रस्तुतियों की रामलीला का मंचन यहां पर किया जाता है। इस अवधि में राम बारात, शाही परम्परानुगत निकाली जाती है। इसके उपरांत दशहरा के दिन 80-100 फुट के रावण, कुम्भकरण, मेधनाद के पुतलों का आकर्षक आतिशबाजी के साथ शाही परम्परा अनुसार दहन किया जाता है। जिसको देखने के लिये स्थानीय शहरवासियों के अतिरिक्त विदेशी पर्यटक, तथा सूदूर क्षेत्रों से लोग कोटा आते हैं। पूरा माहौल जोश ख़रोश से परिपूर्ण होता है, बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व मे सभी पारस्परिक रूप से इस दिन हर्ष उल्लास का जश्न मनाते हैं।
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अक्टूबर7
अक्टूबरउत्सवमारवाड़ उत्सव - 2025
जोधपुर में सर्वाधिक प्रसिद्ध, यहाँ का मारवाड़ उत्सव है। यह दो दिवसीय उत्सव प्रतिवर्ष अश्विन माह (सितम्बर और अक्टूबर के बीच) आयोजित किया जाता है, जो कि राजस्थान के शूर वीरों की याद में मनाया जाता है। असल में इस उत्सव का नाम पहले “मांड उत्सव” था। इस उत्सव का प्रमुख आकर्षण, राजस्थान के शासकों की रोमांटिक (प्रणय गाथा) और शौर्य गाथाओं पर केन्द्रित होता है...
खोजेमारवाड़ उत्सव - 2025
जोधपुर में सर्वाधिक प्रसिद्ध, यहाँ का मारवाड़ उत्सव है। यह दो दिवसीय उत्सव प्रतिवर्ष अश्विन माह (सितम्बर और अक्टूबर के बीच) आयोजित किया जाता है, जो कि राजस्थान के शूर वीरों की याद में मनाया जाता है। असल में इस उत्सव का नाम पहले “मांड उत्सव” था। इस उत्सव का प्रमुख आकर्षण, राजस्थान के शासकों की रोमांटिक (प्रणय गाथा) और शौर्य गाथाओं पर केन्द्रित होता है। इस उत्सव का प्रसंग तथा विषयवस्तु मारवाड़ क्षेत्र का संगीत और नृत्य होता है। इस उत्सव में लोक कलाकार और गायक एक जगह इकट्ठा होते हैं तथा इस जीवन्त मनोरंजन की प्रस्तुति देते हैं। इन लोक कलाकारों के गीत आपको यहाँ के शाही योद्धाओं और शूरवीरों द्वारा लड़े गए युद्धों और पराक्रमों की जीवन्त झलक दिखलाते हैं। इस उत्सव के अन्य आकर्षणों में कैमल टैटू शो (ऊँट के बालों की डिजायनदार कटाई) तथा विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसे मूंछ (लम्बी, घनी व स्टाइलिश मूंछो की) प्रतियोगिता, पगड़ी बांधने की प्रतियोगिता, रस्साकशी, मटका दौड़, पारम्परिक पोशाक प्रतियोगिता तथा और भी कई आकर्षक प्रतियोगिताएं यहाँ आयोजित की जाती है। इस उत्सव के दौरान प्रसिद्ध घन्टा घर और ओसियां में रेत के धोरों पर भी प्रदर्शन किए जाते हैं।
जोधपुर -
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अक्टूबर5
नवंबरमेलेपुष्कर मेला - 2025
पुष्कर मेला के नाम से लोकप्रिय पुष्कर उत्सव (पुष्कर ऊंट उत्सव) , सप्ताह भर तक चलने वाला ऊंट और पशुधन मेला है जो प्रति वर्ष अक्टूबर और नवंबर में पुष्कर में आयोजित किया जाता है।...
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पुष्कर मेला के नाम से लोकप्रिय पुष्कर उत्सव (पुष्कर ऊंट उत्सव) , सप्ताह भर तक चलने वाला ऊंट और पशुधन मेला है जो प्रति वर्ष अक्टूबर और नवंबर में पुष्कर में आयोजित किया जाता है। यह विश्व का सबसे बड़ा ऊंट उत्सव है जो प्रमुख पर्यटन आकर्षण है। इस मेले की अनेक प्रतियोगिताएं जैसे मटका फोड़ ,सबसे बड़ी मूंछें और दुल्हन प्रतियोगिता हजारों पर्यटकों को लुभाती हैं। विगत कई वर्षों से इसमें रोमांचक क्रिकेट मैच भी शामिल किया गया है जो स्थानीय पुष्कर क्लब और विदेशी पर्यटकों की टीम के मध्य आयोजित किया जाता है।
पुष्कर -
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नवंबर5
नवंबरउत्सवमोमासर उत्सव - 2025
मोमासर, बीकानेर के शेखावाटी क्षेत्र का एक आकर्षक गाँव है| हर वर्ष दीपावली के आगमन से पहले जब पूरे देश में उमंग का माहौल होता है, यह गाँव इस उत्सव से जीवंत हो उठता है | मोमासर उत्सव राजस्थान की लोक परम्पराओं का संगम है | स्थानीय परम्पराओं और कलाओं के इस अनूठे दो दिवसीय उत्सव में 200 से ज्यादा कलाकार और शिल्पकार भाग लेते हैं| मोमासर उत्सव के सभी कार्यक्रम नि:शुल्क हैं|
खोजेमोमासर उत्सव - 2025
मोमासर, बीकानेर के शेखावाटी क्षेत्र का एक आकर्षक गाँव है| हर वर्ष दीपावली के आगमन से पहले जब पूरे देश में उमंग का माहौल होता है, यह गाँव इस उत्सव से जीवंत हो उठता है | मोमासर उत्सव राजस्थान की लोक परम्पराओं का संगम है | स्थानीय परम्पराओं और कलाओं के इस अनूठे दो दिवसीय उत्सव में 200 से ज्यादा कलाकार और शिल्पकार भाग लेते हैं| मोमासर उत्सव के सभी कार्यक्रम नि:शुल्क हैं| यह अनूठा फेस्टिवल अतिथियों को कालाकरों से करीब से घुलने- मिलाने और कलाओं को करीब से समझने का अवसर देता है| जाजम फाउंडेशन और मोमासर के स्थानीय निवासी इस गैर-लाभकारी आयोजन को सफल बनाने के लिए साथ मिलकर कम करते हैं| 14 -15 अक्टूबर 2022 को अयोजित होने वाले फेस्टिवल के दसवें संस्करण में आप सभी सादर आमंत्रित हैं |
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नवंबर6
नवंबरमेलेचंद्रभागा मेला - 2025
प्रत्येक वर्ष राजस्थान का चंद्रभागा मेला देश भर के हजारों आगंतुकों और प्रतिभागियों का स्वागत करता है। कार्तिक के महीने (अक्टूबर और नवंबर) में झालावाड़ से लगभग छह किलोमीटर की दूरी पर झालारपाटन में यह मेला आयोजित किया जाता है। इस अंचल के रीति –रिवाज -परंपराओं से यह मेला पर्यटकों , तीर्थयात्रियों और अन्वेषकों को आकर्षित करता है । मेले के दौरान चंद्रभागा नदी के तट पर सारे तीर्थयात्री इकट्ठा होते हैं ...
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प्रत्येक वर्ष राजस्थान का चंद्रभागा मेला देश भर के हजारों आगंतुकों और प्रतिभागियों का स्वागत करता है। कार्तिक के महीने (अक्टूबर और नवंबर) में झालावाड़ से लगभग छह किलोमीटर की दूरी पर झालारपाटन में यह मेला आयोजित किया जाता है। इस अंचल के रीति –रिवाज -परंपराओं से यह मेला पर्यटकों , तीर्थयात्रियों और अन्वेषकों को आकर्षित करता है । मेले के दौरान चंद्रभागा नदी के तट पर सारे तीर्थयात्री इकट्ठा होते हैं और इस पर्व में हिस्सा लेते हैं। चंद्रभागा नदी के नाम पर होने वाला ये उत्सव राजस्थान में अति पावन माना जाता है। लोग नदी में डुबकी लगाने के लिए दूर- दूर से आते हैं उनका ऐसा मानना है कि इससे उनकी शुद्धि होती है । यहां विशाल मवेशी मेला भी आयोजित किया जाता है, जहां गाय, भैंस, बैल ,ऊंट , घोड़े क्रय -विक्रय के लिए विभिन्न स्थानों से आते हैं। मेले में कई आध्यात्मिक और पारंपरिक गतिविधियां शामिल हैं। पर्यटन विभाग मेले के 3 दिनों में पारंपरिक दीपदान, शोभा यात्रा और विभिन्न प्रतियोगिताओं के साथ-साथ सांस्कृतिक संध्या जैसी अनूठी गतिविधियों का आयोजन करता है।
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नवंबर10
नवंबरउत्सवबूंदी उत्सव - 2025
कार्तिक महीने (अक्टूबर-नवंबर) में आध्यात्मिक और पारंपरिक गतिविधियों के साथ बूंदी उत्सव मनाया जाता है । यह उत्सव परंपरागत कला, संस्कृति और शिल्पकौशल का एक अद्भुत संगम है जिसकी भव्यता से पर्यटक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।...
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कार्तिक महीने (अक्टूबर-नवंबर) में आध्यात्मिक और पारंपरिक गतिविधियों के साथ बूंदी उत्सव मनाया जाता है । यह उत्सव परंपरागत कला, संस्कृति और शिल्पकौशल का एक अद्भुत संगम है जिसकी भव्यता से पर्यटक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। इस कार्यक्रम में शोभा यात्रा, कला और शिल्प मेले, ग्रामीण खेल, सांस्कृतिक प्रदर्शन, शास्त्रीय संगीत और नृत्य कार्यक्रम, पगड़ी प्रतियोगितायें, दुल्हन के परम्परागत वस्त्र , संगीत बैंड प्रतियोगितायें, और शानदार आतिशबाजी प्रदर्शन शामिल हैं। कार्तिक पूर्णिमा की रात के बाद अगली भोर में दीपों के उजास में चंबल नदी के तट पर आकर्षक बहुरंगी परिधान पहने महिलाएं और पुरुष सौभाग्य प्राप्त करते हैं।
बूंदी -
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नवंबर28
नवंबरमेलेकोलायत मेला - 2025
बीकानेर का कोलायत मेला स्थानीय लोगों के लिए अति महत्त्व रखता है जो वर्ष भर उत्सुकता से इसका इन्तजार करते हैं । पर्यटकों भी इसका आनंद उठाते हैं नवम्बर में लगने वाला ये मेला विशाल स्तर पर आयोजित किया जाता है ।...
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बीकानेर का कोलायत मेला स्थानीय लोगों के लिए अति महत्त्व रखता है जो वर्ष भर उत्सुकता से इसका इन्तजार करते हैं । पर्यटकों भी इसका आनंद उठाते हैं नवम्बर में लगने वाला ये मेला विशाल स्तर पर आयोजित किया जाता है । यह कपिल मुनि मेला नाम से भी लोकप्रिय है । धार्मिक महत्त्व के साथ धूमधाम भी इस मेले का आकर्षण है। बड़ी संख्या में भक्त पवित्र कोलायत झील में डुबकी लगाने के लिए मेले में आते हैं। मान्यता है कि इस पावन झील में डुबकी लगाने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है ।
बीकानेर